लेकिन आर्कटिक जीतने की इस होड़ में रूस पहले ही आगे निकल चुका है. कई सालों से रूस परमाणु संचालित बर्फ तोड़ने वाले विशाल जहाज बना रहा है, जो उत्तरी ध्रुव के बर्फीले पानी में रास्ता खुला रखने के काम आते हैं. इसके अलावा व्लादिमीर पुतिन ने यहाँ बहुत बड़े औद्योगिक प्रोजेक्ट्स में निवेश किया है. ऐसा ही एक प्रोजेक्ट है एक बहुत बड़ा गैस प्रोसेसिंग प्लांट, जो पर्माफ्रॉस्ट पर बना है. दूसरा प्रोजेक्ट है पानी पर तैरने वाले शानदार परमाणु पावर प्लांट का निर्माण जो पेवेक शहर को बिजली मुहैया कराता है. ये पोलर सर्किल के करीब मौजूद एक छोटा सा अलग थलग पड़ा बंदरगाह है.
ये व्लादिमीर पुतिन द्वारा आर्कटिक पर कब्ज़ा करने के लिए शुरू किए महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स के कुछ उदाहरण हैं.
इसी वजह से मॉस्को इस इलाके में अपनी सेना तैनात करना चाहता है. रूस की इन बढ़ती महत्वाकांक्षाओं से चिंतित होकर नाटो ने रूसी राष्ट्रपति को एक सख्त संदेश के ज़रिये चेतावनी देने का फैसला किया. अटलांटिक गठबंधन ने हाल ही में नॉर्वे में 35,000 सैनिकों के साथ युद्धाभ्यास किया. ये दिखाने के लिए कि वो इस इलाके में संभावित रूसी हमले का जवाब देने के लिए पूरी तरह से सक्षम हैं.
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