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प्रिय साथियो,
छोटे से अंतराल के बाद एक बार फिर से आपका स्वागत है!
लंबे समय से आप जिस विषय पर चर्चा की मांग कर रहे थे, इस बार वही आपके समक्ष प्रस्तुत है। चर्चा का विषय है ‘चार्वाक दर्शन : एक परिचय’।
दर्शन के आम जिज्ञासुओं को ध्यान में रखते हुए इसमें चार्वाक दर्शन पर विस्तृत चर्चा की गई है। लोकजीवन में चार्वाक की क्या छवि है और वह कितनी ठीक है; चार्वाक किन नैतिक मूल्यों की वकालत कर रहे थे जिनसे तत्कालीन समाज की पूरी व्यवस्था सिर के बल खड़ी नज़र आने लगी थी; आत्मा के अस्तित्व और जगत के निर्माण व संचालन को लेकर इनके विचार कैसे शेष दर्शनों से अलग थे और वर्तमान समाज में इनकी प्रासंगिकता किस रूप में है ; इन सभी पक्षों से गुज़रना संभवतः आपके लिये रुचिकर होगा!
इस सेशन के लिये हमने पहली बार लगभग 100 दर्शकों को आमंत्रित किया था। ये दर्शक उन 3000+ आवेदकों में से थे जिन्होंने ऑनलाइन फ़ॉर्म भरकर ऐसी इच्छा व्यक्त की थी। आगामी सत्रों में भी यह परंपरा जारी रहेगी। यदि आपने फॉर्म भरा था तो जल्दी ही आपके पास भी बुलावा आएगा; और यदि नहीं भरा था किंतु भरना चाहते हैं तो कृपया इस लिंक पर जाकर फॉर्म भर सकते हैं : https://vikasdivyakirti.com/register
शुभकामनाओं सहित,
विकास दिव्यकीर्ति
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